कुंभ राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा और रत्न धारण

   


कुंभ राशि के जातकों के लिए ग्रह दशा और रत्न धारण का प्रभाव



कुंभ राशि के जातकों के लिए ग्रहों की दशा का जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक ग्रह दशा में उचित रत्न धारण करने से जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति प्राप्त की जा सकती है। इस लेख में, हम विस्तार से समझेंगे कि कुंभ राशि के जातकों को किस ग्रह की दशा में कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए और उसके क्या प्रभाव होंगे।

कुंभ राशि और इसके स्वामी ग्रह

कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह होता है। यह राशि वायु तत्व से संबंधित है और इसका स्वभाव स्थिर माना जाता है। कुंभ राशि के जातक प्रायः गंभीर, विचारशील, स्वतंत्र विचारधारा वाले और नवीन खोजों में रुचि रखने वाले होते हैं। इन पर शनि ग्रह की विशेष कृपा रहती है, लेकिन अन्य ग्रहों की दशा भी इनके जीवन को प्रभावित करती है।---

ग्रह दशाओं के अनुसार रत्न धारण के नियम

1. शनि की दशा (शनि महादशा या अंतरदशा) – नीलम (Blue Sapphire)

➤ रत्न: नीलम

➤ धारण करने का समय: यदि शनि की दशा कठिनाई दे रही हो और कुंडली में शुभ स्थिति में हो

➤ प्रभाव:


यह रत्न शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।

कुंभ राशि के जातकों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी होता है।

व्यापार में उन्नति, नौकरी में प्रमोशन और मानसिक शांति मिलती है।

गलत निर्णय लेने की प्रवृत्ति में कमी आती है।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे गठिया, नसों की कमजोरी और तनाव कम होते हैं।

➤ सावधानी:

नीलम धारण करने से पहले 3 दिन तक परीक्षण करें, क्योंकि यह रत्न तुरंत प्रभाव दिखाता है और हर व्यक्ति के लिए अनुकूल नहीं होता।

2. बृहस्पति की दशा (बृहस्पति महादशा या अंतरदशा) – पुखराज (Yellow Sapphire)

➤ रत्न: पुखराज

➤ धारण करने का समय: यदि बृहस्पति कुंडली में शुभ हो और इसकी दशा चल रही हो

➤ प्रभाव:

यह रत्न ज्ञान, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाता है।

यदि कुंभ राशि के जातक शिक्षा, अध्यापन, न्याय या आध्यात्मिक क्षेत्र में हैं, तो यह अत्यंत लाभकारी होता है।

विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है और संतान सुख प्रदान करता है।

➤ सावधानी:

यदि बृहस्पति नीच का हो या शत्रु भाव में हो, तो बिना ज्योतिषीय सलाह के यह रत्न न पहनें।

3. राहु की दशा (राहु महादशा या अंतरदशा) – गोमेद (Hessonite Garnet)


➤ रत्न: गोमेद

➤ धारण करने का समय: जब राहु की दशा जीवन में अत्यधिक परेशानियां ला रही हो

➤ प्रभाव:

मानसिक भ्रम, शत्रुओं से रक्षा और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।

राहु के कारण उत्पन्न होने वाले नकारात्मक प्रभाव जैसे झूठे आरोप, कानूनी परेशानियां और मानसिक तनाव को कम करता है।

अचानक धन हानि और दुर्घटनाओं से बचाव करता है।

➤ सावधानी:

अगर राहु अनुकूल स्थिति में हो, तो यह रत्न पहनने से हानिकारक प्रभाव भी पड़ सकता है, इसलिए पहले कुंडली का विश्लेषण कराएं।

4. केतु की दशा (केतु महादशा या अंतरदशा) – लहसुनिया (Cat's Eye)



➤ रत्न: लहसुनिया

➤ धारण करने का समय: जब केतु की दशा जीवन में अनिश्चितता और भय उत्पन्न कर रही हो

➤ प्रभाव:

मन की स्थिरता प्रदान करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

अचानक होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव करता है।

भ्रम और अनावश्यक भय को कम करता है।

व्यापारिक लाभ और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।

➤ सावधानी:

यह रत्न केवल उन्हीं को पहनना चाहिए, जिनकी कुंडली में केतु प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा हो।

5. मंगल की दशा (मंगल महादशा या अंतरदशा) – मूंगा (Red Coral)

➤ रत्न: मूंगा

➤ धारण करने का समय: जब मंगल की दशा जीवन में अत्यधिक क्रोध, विवाद और ऊर्जा की कमी ला रही हो

➤ प्रभाव:

शारीरिक बल, साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

कुंभ राशि के जातकों के लिए यह तभी लाभकारी होता है, जब मंगल शुभ स्थिति में हो।

यह रक्त संबंधी समस्याओं और हड्डियों की कमजोरी से बचाव करता है।

➤ सावधानी:

अगर मंगल कुंडली में कमजोर या अशुभ स्थान पर है, तो बिना ज्योतिषीय परामर्श के यह रत्न न पहनें।

6. सूर्य की दशा (सूर्य महादशा या अंतरदशा) – माणिक्य (Ruby)

➤ रत्न: माणिक्य

➤ धारण करने का समय: जब सूर्य की दशा जातक के आत्मसम्मान और नेतृत्व क्षमता में कमी कर रही हो

➤ प्रभाव:

आत्मविश्वास, मान-सम्मान और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है।

सरकारी कार्यों में सफलता दिलाता है।

हड्डियों और हृदय संबंधी समस्याओं से बचाव करता है।

➤ सावधानी:

अगर सूर्य कुंडली में नीच का है, तो यह रत्न न पहनें, क्योंकि यह अहंकार और अत्यधिक क्रोध को बढ़ा सकता है।

7. चंद्रमा की दशा (चंद्र महादशा या अंतरदशा) – मोती (Pearl)

➤ रत्न: मोती

➤ धारण करने का समय: जब चंद्रमा की दशा जातक को मानसिक तनाव और भावनात्मक अस्थिरता दे रही हो

➤ प्रभाव:

मन को शांति प्रदान करता है।

मानसिक संतुलन और धैर्य को बढ़ाता है।

अनिद्रा, चिंता और अवसाद को कम करता है।

➤ सावधानी:

अगर चंद्रमा शत्रु ग्रह के साथ स्थित है, तो यह रत्न पहनने से पहले ज्योतिषी से परामर्श लें।


निष्कर्ष


कुंभ राशि के जातकों को ग्रह दशा के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए, लेकिन बिना ज्योतिषीय सलाह के कोई भी रत्न धारण करना हानिकारक हो सकता है। रत्न धारण करने से पहले कुंडली का गहन अध्ययन आवश्यक होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह रत्न जातक के लिए शुभ प्रभाव डालेगा।


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